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गुरुवार, 15 जुलाई 2010

भूल गए वो दिन
भूल गए वो रातें ओंर बातें
भूल गए वो ख्वाब
भूल गए वो रंग-तरंग
पर क्या
वो बच्चा भी भूल गए
जो मेरे ओंर तुम्हारे ख्वाबों में
साथ साथ हलचल मचाता था

3 टिप्‍पणियां:

  1. इस नए ब्‍लॉग के साथ आपका हिंदी चिट्ठाजगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  2. ज़र्रानवाज़ी का शुक्रिया .....आप हमारे ब्लॉग पर आये और अपनी राय से हमे नवाज़ा उसके लिए शुक्रिया जान कर बहुत ख़ुशी हुई की आपने पहले जिब्रान साहब को पड़ा है और उम्मीद करता हूँ की उनसे मुतमईन भी होंगी....मेरी कोशिश रहेगी जो जिब्रान साहब का अमूल्य साहित्य आपको मेरे ब्लॉग पर मिल सके .........और जज़्बात पर आपकी राय अच्छी लगी...अगर आप चाहती हैं की मेरे ब्लोग्स की हर पोस्ट की अपडेट आप तक पहुंचे तो कृपया ब्लॉग को फ़ॉलो करें ......एक बार फिर आपका शुक्रिया....

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  3. छोटी पर बहोत सुन्दर रचना..बधाई!

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