कुल पेज दृश्य

पृष्ठ

फ़ॉलोअर

Powered By Blogger

गुरुवार, 29 जुलाई 2010

शरारत


आओ इस मौसम में आकर कोईं शरारत कर बैठो
अल्लाह अल्लाह खामोशी से हूँ कितनी हैरान सी मै
                    खुशी              

3 टिप्‍पणियां:

  1. गुस्ताखी के साथ अर्ज़ है... माफ़ी चाहता हूँ ..की मुझे ये शेर कुछ समझ नहीं आया जैसी आपकी पोस्ट से उम्मीद होता है वैसा कुछ नहीं दिखा | पहले की तरह फिर आपकी पोस्ट की तस्वीर बहुत अच्छी है.....

    जवाब देंहटाएं
  2. "प्यार और चान्द् " पर आपकी राय- - - की ज़रूरत् है

    जवाब देंहटाएं