skip to main
|
skip to sidebar
khushi
कुल पेज दृश्य
पृष्ठ
मुखपृष्ठ
फ़ॉलोअर
गुरुवार, 15 जुलाई 2010
बोलो ?
लबों ने लबों से
जब कुछ कहा था
नज़र ने नज़र से
जिद में पढ़ा था
वो अनकही
क्या तुम्हारे ज़हन में
अब भी है
और है
तो क्या तुम भी
मेरी तरह छुप छुप के
पूरी बरसात
रोते रहते हो
बोलो ?
1 टिप्पणी:
बेनामी
16 जुलाई 2010 को 11:34 pm बजे
bahut khub.... i like these lines..
तो क्या तुम भी
मेरी तरह छुप छुप के
पूरी बरसात
रोते रहते हो
बोलो ?
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Feedjit
Feedjit Live Blog Stats
ब्लॉग आर्काइव
►
2011
(4)
►
जून
(1)
►
अप्रैल
(1)
►
फ़रवरी
(1)
►
जनवरी
(1)
▼
2010
(42)
►
दिसंबर
(2)
►
नवंबर
(1)
►
अक्तूबर
(2)
►
सितंबर
(4)
►
अगस्त
(3)
▼
जुलाई
(17)
हिज्र की शब् का किसी तौर से कटना मुश्किलचाँद पूरा...
शरारत
बारिश
माँ
काश! वह रोज़े हश्र भी आए....
याद कुछ इस तरह जगाती है टुकड़ों टुकड़ों में नींद ...
कड़ी धूप में छाओं जैसी बातें करतें हैंआंसू भी तो म...
मुझे प्यार करते हो करते रहो तुम......
बिछड़ा है एक बार तो फिर मिलते नहीं देखा इस ज़ख्म क...
आओ कि कोई ख्वाब बुने कल के वास्तेवरना ये रात आज के...
भूल गए वो दिन भूल गए वो रातें ओंर बातें भूल गए वो ...
बोलो ?
चाँद चमकता है तुम तक ले जाता है रात बहकती है तुम ...
छन के आती है शिगाफों से हिना की खुशबू किसने मेहंद...
हथेलिओं कि दुआ फूल लेके आई होकभी तो रंग मेरे हाथ क...
तुम जाग रहे हो मुझे अच्छा नहीं लगता चुपके से मेरी ...
तुम मुझको गुडिया कहते होसच कहते होखेलने वाले सब हा...
►
जून
(12)
►
अप्रैल
(1)
मेरे बारे में
khushi
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
bahut khub.... i like these lines..
जवाब देंहटाएंतो क्या तुम भी
मेरी तरह छुप छुप के
पूरी बरसात
रोते रहते हो
बोलो ?