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गुरुवार, 15 जुलाई 2010

बोलो ?

लबों ने लबों से
जब कुछ कहा था
नज़र ने नज़र से
जिद में पढ़ा था
वो अनकही
क्या तुम्हारे ज़हन में
अब भी है
और है
तो क्या तुम भी
मेरी तरह छुप छुप के
पूरी बरसात
रोते रहते हो
बोलो ?

1 टिप्पणी:

  1. bahut khub.... i like these lines..
    तो क्या तुम भी
    मेरी तरह छुप छुप के
    पूरी बरसात
    रोते रहते हो
    बोलो ?

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