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शुक्रवार, 23 जुलाई 2010


याद कुछ इस तरह जगाती है
टुकड़ों टुकड़ों में नींद आती है
मौत की दुश्मनी है पल भर की
ज़िंदगी उम्र भर रुलाती है
                                  डॉ. कुअर बेचैन

 "रात तो निकल ही आई क़त्ल-गाहों से,
साथ जो ख़्वाब थे, सारे शहीद हो गए....."
                                 -अज्ञात
    

3 टिप्‍पणियां:

  1. उफ़्………………दोनो ही गज़ब के ………………कितनी गहराई है……………क्या कहूँ …………………बस इतना ही कि दिल मे उतर गये।

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  2. "मौत की दुश्मनी है पल भर की
    ज़िंदगी उम्र भर रुलाती है" Good one nice work....i like this picture its realy nice ....keep it up.

    जवाब देंहटाएं
  3. Id Mubarak Ho, Har Jagah Id Ki khushiyan aur pure blog par apki kavitaye.


    Mubarak ho

    जवाब देंहटाएं