कभी तो रंग मेरे हाथ का हिनाई हो
कोई तो हो जो मेरे मन को रौशनी भेजे
किसी का प्यार हवा मेरे नाम लाइ हो
गुलाबी पाँव मेरे चंपाई बनाने को
किसी ने सहन में महंदी कि बाढ़ उगाई हो
वो सोते जागते रहने के मौसमो का फूसों
के नींद में रहू और नींद भी न आई हो ..........
- परवीन शाकिर
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