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सोमवार, 14 जून 2010

तन्हाई

इसके बाद बहुत तन्हाँ है, जैसे जंगल का रास्ता
जो भी तुमसे प्यार से बोले साथ उसी के हो लेना
                                                    -डा.- बशीर बद्र 

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