शाख-ए- बदन को ताज़ा फूल निशानी दे
कोई तो हो जो मेरी जड़ों को पानी दे
अपने सारे मंज़र मुझसे ले ले और
मालिक! मेरी आँखों को हैरानी दे
उसकी सरगोशी में भीगती जाए रात
कतरा-कतरा तन को नई कहानी दे
उसके नाम पे खुले दरीचे के नीचे
कैसी प्यारी खुशबू रात की रानी दे
बात तो तब है मेरे हर्फ़ गूँज के साथ
कोई उस लहजे को बात पुरानी दे
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