तू है राधा अपने कृष्ण की
तिरा कोई भी होता नाम
मुरली तेरे भीतर बाजती
किस बन भी करती बिसराम
या कोई सिंहासन बिराजती
तुझे खोज ही लेते श्याम
जिस संग भी फेरे डालती
संजोग में थे घनश्याम
क्या मोल तू मन का मांगती
बिकना था तुझे बेदाम
बंसी की मधुर तानो से
बसना था ये सूना धाम
तिरा रंग भी कौन सा अपना
मोहन का भी एक ही काम
गिरधर आके भी गए और
मन माला है वही नाम
जोगन का पता भी क्या हो
कब सुबह हुई कब शाम
-परवीन शाकिर
ये हवाएं क्यों उड़ा ले गयी आँचल मेरा
यूँ सताने की आदत तो मेरे घनश्याम की थी
-परवीन शाकिर
आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंजय श्री कृष्ण!
जवाब देंहटाएं--
अब मैं ट्विटर पे भी!
https://twitter.com/professorashish
ये हवाएं क्यों उड़ा ले गयी आँचल मेरा
जवाब देंहटाएंयूँ सताने की आदत तो मेरे घनश्याम की थी
क्या बात है खुशी जी.................. बहुत खुब।
क्या बात है ... ख़ुशी जी........शानदार तस्वीर के साथ शानदार पोस्ट |
जवाब देंहटाएंतू है राधा अपने कृष्ण की
जवाब देंहटाएंतिरा कोई भी होता नाम
मुरली तेरे भीतर बाजती
Bhot acha ji.
tu radha apne krishne ki
hai radha tu hai sirf krishn ki
me hu makhan chor,bin makhan sab....