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बुधवार, 1 सितंबर 2010


तू है राधा अपने कृष्ण की
तिरा कोई भी होता नाम
मुरली तेरे भीतर बाजती
किस बन भी करती बिसराम
या कोई सिंहासन बिराजती
तुझे खोज ही लेते श्याम
जिस संग भी फेरे डालती
संजोग में थे घनश्याम
क्या मोल तू मन का मांगती
बिकना था तुझे बेदाम
बंसी की मधुर तानो से
 बसना था ये सूना धाम
तिरा रंग भी कौन सा अपना
मोहन का भी एक ही काम
गिरधर आके भी गए और
मन माला है वही नाम
जोगन का पता भी क्या हो
कब सुबह हुई कब शाम
                                     -परवीन शाकिर  

ये हवाएं क्यों उड़ा ले गयी आँचल मेरा
यूँ सताने की आदत तो मेरे घनश्याम की थी
                                        -परवीन शाकिर 

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  2. जय श्री कृष्ण!
    --
    अब मैं ट्विटर पे भी!
    https://twitter.com/professorashish

    जवाब देंहटाएं
  3. ये हवाएं क्यों उड़ा ले गयी आँचल मेरा
    यूँ सताने की आदत तो मेरे घनश्याम की थी
    क्या बात है खुशी जी.................. बहुत खुब।

    जवाब देंहटाएं
  4. क्या बात है ... ख़ुशी जी........शानदार तस्वीर के साथ शानदार पोस्ट |

    जवाब देंहटाएं
  5. तू है राधा अपने कृष्ण की
    तिरा कोई भी होता नाम
    मुरली तेरे भीतर बाजती

    Bhot acha ji.
    tu radha apne krishne ki
    hai radha tu hai sirf krishn ki
    me hu makhan chor,bin makhan sab....

    जवाब देंहटाएं