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बुधवार, 22 सितंबर 2010

हजरत अमीर खुसरो, और कबीर को अर्पित , जिसकी आज समाज को बहुत ज़रूरत है






मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा
एक खुदा का वास

जैसा जिसने ढून्ढ लिया,
उसका वैसा "ख़ास"

रब तो सबका एक है
दिल है उसका धाम

प्यार मोहब्बत बांटना
है इंसा का काम

मन से उसको ढूँढो तो
 माटी में मिल जाए 

साहिब मेरा भोला सा
बच्चो में मुस्काए 



7 टिप्‍पणियां:

  1. मन से उसको ढूँढो तो
    माटी में मिल जाए

    साहिब मेरा भोला सा
    बच्चो में मुस्काए

    बिल्कुल सही कहा………………बस चाहत है उसे समझने और चाहने की।

    जवाब देंहटाएं
  2. मन से उसको ढूँढो तो
    माटी में मिल जाए

    साहिब मेरा भोला सा
    बच्चो में मुस्काए
    बहुत ही खूबसूरत और गहराई से लिखी गई पंक्तियां
    http://veenakesur.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  3. ख़ुशी जी,

    वाह बहुत गहरी बात कह दी......सच है जहाँ तुमने देखा वहीँ खुदा है ..........निदा फाजली का एक शेर है ........

    "घर से मस्जिद है बहुत दूर, चलो कुछ यूँ करे,
    की किसी रोते हुए इंसा को हँसा दिया जाये"

    जवाब देंहटाएं
  4. rab to sabka ek hai, par sab k rup alag hai koi kisi ko samj hi nhi sakta,,

    जवाब देंहटाएं
  5. रब तो सबका एक है
    दिल है उसका धाम
    तो आखिर उसी दिल में लोग एक दूसरे के लिए नफरत क्यों रखते है। ये बात लोगों को कौन समझाए।

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