कुल पेज दृश्य

पृष्ठ

फ़ॉलोअर

Powered By Blogger

मंगलवार, 7 सितंबर 2010

ईद


ईद आई है
 तो सब कुछ नया है
रंग भी हैं
फूल भी ओंर खुशबू भी
ज़र्रे ज़र्रे पे नशा है
नई रौनक है
हर एक शय पे आखिर ईद का हक है
चाँद  शादा है,ज़मी खुश है
चमन है रौशन
ईद से खुश हैं सब
ये बस मुझको ही तंग करती है
तुम ही सोचो मेरी जान!!
खंडहरों में भी कही ईद मना करती है



5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब.............और खुदा न करे की कभी आप पर खंडहरों वाले हालात आयें .......खुदा महफूज़ रखे हर बला से..........ईद मुबारक |

    जवाब देंहटाएं
  2. ईद से खुश हैं सब
    ये बस मुझको ही तंग करती है
    तुम ही सोचो मेरी जान!!
    खंडहरों में भी कही ईद मना करती है

    mind blowing!!! awesome!!! ग़ज़ब की पंक्तियाँ हैं

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत पसन्द आया
    हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
    बहुत देर से पहुँच पाया .......माफी चाहता हूँ..

    जवाब देंहटाएं
  4. bhot achi hai, thodi comment kar rhe hai so..plz sry aap bhot acha likhte ho.. very good

    जवाब देंहटाएं