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गुरुवार, 7 अक्तूबर 2010

वह गुराँस का फूल

प्रिये!!
निस्संदेह
 तुम सब भूल गए हो
दुष्यंत की तरह
प्रेम का एक क्षण भी
तुम्हे याद नहीं
पर क्या भूल गए
वह गुराँस का फूल
जो तुमने लगाया था
अंतिम बार
मेरे जूडे में
              

6 टिप्‍पणियां:

  1. कविता का जन्म सुखद या दुखद पलों से होता है। आपकी कविता का सृजन सुकोमल यादों से हुआ हे। बधाई।

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  2. ख़ुशी जी,

    इस शानदार रचना के लिए बधाई.........बहुत ही सुन्दर.............पर एक बात..... 'दुष्यंत' की तरह ? क्या ये कवि का नाम है?

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  3. वाह! कितनी छोटी रचना में कितना क्या क्या न कहा.

    जवाब देंहटाएं