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गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

तुम्हारे लिए

मेरे प्यार!
मेरे मन ने सदैव चाहा
तुम्हारे घाव भरना
अब तुम कहोगे '
घाव भरना तो बोरोलीन भी जानती है'
लेकिन उसका स्पर्श नहीं है
मेरे अधरों की तरह कोमल
मैंने सदैव चाहा
अपनी ऊष्मा से तुम्हे तप्त कर ऊर्जा देना
अब तुम कहोगे
ये तो हीटर भी कर सकता है
पर नहीं है उसकी ऊष्मा में, मेरे प्यार की हिद्दत
मैंने सदैव चाहा तुम्हारे प्यार को अपने
तन-मन में संजो कर, एक संसार रच डालना
अब तुम कहोगे
ये काम तो करता  है सूरज भी
धरती के गर्भ से पानी लेकर
मैंने सदैव चाहा
उस संसार के लिए खाना-पानी जुटाना
अब तुम कहोगे
ये काम तो करती हैं हरी पत्तियाँ भी
सारे संसार के लिए, ज़रा सा क्लोरोफिल भून के
मेरी जान!!!
समझो तो सही सृष्टी औरत ही तो है
जो जीती है अपने सृजन की खातिर
और इतनी सुखी औरत जिससे कोई नहीं कहता
'ये काम तो तुम से अच्छा वोरोलीन, सूरज या पत्तियाँ करती हैं!!'
                                                                    -खुशी

6 टिप्‍पणियां:

  1. sundar abhivyakti

    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

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  2. बहुत ही सुन्दर और सार्थक भाव लिए कविता |

    नव वर्ष मंगलमय हो |

    जवाब देंहटाएं
  3. नये साल के उपलक्ष्य मे बेहतरीन रचना
    आपको नव वर्ष की हृार्दिक शुभकामनाये

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह जी...क्या बात है बोरोलीन, क्लोरोफिल का इस्तेमाल कर पोस्ट....वाह

    नववर्ष की ढेरो शुभकामनायें|

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  5. विचारणीय तथ्यों को समेटे सुंदर रचना - नव वर्ष की मंगल कामना

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