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गुरुवार, 8 अप्रैल 2010

ख़ुशी मासूम सी बच्चे की कॉपी में इबारत सी
हिरन की पीठ पर बैठे परिंदे की शरारत सी।

खुश हो जाने के लिए ही ब्लोगिंग करना है मुझे यार! ऐसा तो हम पेशे खिदमत हैं जनाब, अपने फड़कते ब्लॉग के साथ:

जीवन साथीसे.....

धूप में बारिश होते देख के

हैरत करने वाले!

शायद तूने मेरी हंसी को

छूकर

कभी नहीं देखा! -परवीन शाकिर

सपना

आँखों की शाखों से

ख़्वाबो के खोशे चुनतीं

तुम सपनो का सच हो

या सच का सपना- शीन काफ निजाम

तखलीक
एक बोसीदा सी

ज़न्गालूद तोप के

दहाने पैर

एक नन्ही-मुन्नी चिड़िया ने

घोंसला बनाया hai - mohammed alvee

bataaiye जनाब kaisaa lagaa nannhaa sa yah collection........................

aapkee khushi

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