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रविवार, 3 अप्रैल 2011

याद है है यह गाना:

 खामोश सा अफ़साना
पानी से लिखा होता 
न तुमने कहा होता
न हमने सूना होता
खामोश सा अफ़साना....

सहमे से रहतें हैं
जब ये दिन ढलता है
एक दिया बुझता है
एक दिया जलता है
तुमने कोइ दीप जलाया होता
खामोश सा अफ़साना...

दिल की बात न पूछो
दिल तो आता रहेगा 
दिल बहकता रहा है
दिल बहकाता रहेगा
तुमने दिल को कुछ समझाया होता
खामोश सा अफ़साना.....

कितने साहिल ढूंढे
कोई  न सामने आया 
जब मझधार में डूबे
साहिल थामने आया
तुमने साहिल को पहले बुलाया होता
खामोश सा अफ़साना....